68وَكَيفَ تَصبِرُ عَلىٰ ما لَم تُحِط بِهِ خُبرًاफ़ारूक़ ख़ान & अहमदऔर जो चीज़ तुम्हारे ज्ञान-परिधि से बाहर हो, उस पर तुम धैर्य कैसे रख सकते हो?"