51۞ ما أَشهَدتُهُم خَلقَ السَّماواتِ وَالأَرضِ وَلا خَلقَ أَنفُسِهِم وَما كُنتُ مُتَّخِذَ المُضِلّينَ عَضُدًاफ़ारूक़ ख़ान & अहमदमैंने न तो आकाशों और धरती को उन्हें दिखाकर पैदा किया और न स्वयं उनको बनाने और पैदा करने के समय ही उन्हें बुलाया। मैं ऐसा नहीं हूँ कि गुमराह करनेवालों को अपनी बाहु-भुजा बनाऊँ