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Sura 18
Aya 45
45
وَاضرِب لَهُم مَثَلَ الحَياةِ الدُّنيا كَماءٍ أَنزَلناهُ مِنَ السَّماءِ فَاختَلَطَ بِهِ نَباتُ الأَرضِ فَأَصبَحَ هَشيمًا تَذروهُ الرِّياحُ ۗ وَكانَ اللَّهُ عَلىٰ كُلِّ شَيءٍ مُقتَدِرًا

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

और (ऐ रसूल) इनसे दुनिया की ज़िन्दगी की मसल भी बयान कर दो कि उसके हालत पानी की सी है जिसे हमने आसमान से बरसाया तो ज़मीन की उगाने की ताक़त उसमें मिल गई और (खूब फली फूली) फिर आख़िर रेज़ा रेज़ा (भूसा) हो गई कि उसको हवाएँ उड़ाए फिरती है और ख़ुदा हर चीज़ पर क़ादिर है