43وَلَم تَكُن لَهُ فِئَةٌ يَنصُرونَهُ مِن دونِ اللَّهِ وَما كانَ مُنتَصِرًاफ़ारूक़ ख़ान & अहमदउसका कोई जत्था न हुआ जो उसके और अल्लाह के बीच पड़कर उसकी सहायता करता और न उसे स्वयं बदला लेने की सामर्थ्य प्राप्त थी