88قُل لَئِنِ اجتَمَعَتِ الإِنسُ وَالجِنُّ عَلىٰ أَن يَأتوا بِمِثلِ هٰذَا القُرآنِ لا يَأتونَ بِمِثلِهِ وَلَو كانَ بَعضُهُم لِبَعضٍ ظَهيرًاफ़ारूक़ ख़ान & अहमदकह दो, "यदि मनुष्य और जिन्न इसके लिए इकट्ठे हो जाएँ कि क़ुरआन जैसी कोई चीज़ लाएँ, तो वे इस जैसी कोई चीज़ न ला सकेंगे, चाहे वे आपस में एक-दूसरे के सहायक ही क्यों न हों।"