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Sura 17
Aya 82
82
وَنُنَزِّلُ مِنَ القُرآنِ ما هُوَ شِفاءٌ وَرَحمَةٌ لِلمُؤمِنينَ ۙ وَلا يَزيدُ الظّالِمينَ إِلّا خَسارًا

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

और हम तो क़ुरान में वही चीज़ नाज़िल करते हैं जो मोमिनों के लिए (सरासर) शिफा और रहमत है (मगर) नाफरमानों को तो घाटे के सिवा कुछ बढ़ाता ही नहीं