78أَقِمِ الصَّلاةَ لِدُلوكِ الشَّمسِ إِلىٰ غَسَقِ اللَّيلِ وَقُرآنَ الفَجرِ ۖ إِنَّ قُرآنَ الفَجرِ كانَ مَشهودًاफ़ारूक़ ख़ान & अहमदनमाज़ क़ायम करो सूर्य के ढलने से लेकर रात के छा जाने तक और फ़ज्र (प्रभात) के क़ुरआन (अर्थात फ़ज्र की नमाज़ः के पाबन्द रहो। निश्चय ही फ़ज्र का क़ुरआन पढ़ना हुज़ूरी की चीज़ है