67وَإِذا مَسَّكُمُ الضُّرُّ فِي البَحرِ ضَلَّ مَن تَدعونَ إِلّا إِيّاهُ ۖ فَلَمّا نَجّاكُم إِلَى البَرِّ أَعرَضتُم ۚ وَكانَ الإِنسانُ كَفورًاफ़ारूक़ ख़ान & अहमदजब समुद्र में तुम पर कोई आपदा आती है तो उसके सिवा वे सब जिन्हें तुम पुकारते हो, गुम होकर रह जाते है, किन्तु फिर जब वह तुम्हें बचाकर थल पर पहुँचा देता है तो तुम उससे मुँह मोड़ जाते हो। मानव बड़ा ही अकृतज्ञ है