65إِنَّ عِبادي لَيسَ لَكَ عَلَيهِم سُلطانٌ ۚ وَكَفىٰ بِرَبِّكَ وَكيلًاफ़ारूक़ ख़ान & अहमद"निश्चय ही जो मेरे (सच्चे) बन्दे है उनपर तेरा कुछ भी ज़ोर नहीं चल सकता।" तुम्हारा रब इसके लिए काफ़ी है कि अपना मामला उसी को सौंप दिया जाए