54رَبُّكُم أَعلَمُ بِكُم ۖ إِن يَشَأ يَرحَمكُم أَو إِن يَشَأ يُعَذِّبكُم ۚ وَما أَرسَلناكَ عَلَيهِم وَكيلًاफ़ारूक़ ख़ान & अहमदतुम्हारा रब तुमसे भली-भाँति परिचित है। वह चाहे तो तुमपर दया करे या चाहे तो तुम्हें यातना दे। हमने तुम्हें उनकी ज़िम्मेदारी लेनेवाला कोई क्यक्ति बनाकर नहीं भेजा है (कि उन्हें अनिवार्यतः संमार्ग पर ला ही दो)