18مَن كانَ يُريدُ العاجِلَةَ عَجَّلنا لَهُ فيها ما نَشاءُ لِمَن نُريدُ ثُمَّ جَعَلنا لَهُ جَهَنَّمَ يَصلاها مَذمومًا مَدحورًاफ़ारूक़ ख़ान & नदवी(और गवाह याहिद की ज़रुरत नहीं) और जो शख़्श दुनिया का ख्वाहाँ हो तो हम जिसे चाहते और जो चाहते हैं उसी दुनिया में सिरदस्त (फ़ौरन) उसे अता करते हैं (मगर) फिर हमने उसके लिए तो जहन्नुम ठहरा ही रखा है कि वह उसमें बुरी हालत से रौंदा हुआ दाख़िल होगा