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Sura 17
Aya 12
12
وَجَعَلنَا اللَّيلَ وَالنَّهارَ آيَتَينِ ۖ فَمَحَونا آيَةَ اللَّيلِ وَجَعَلنا آيَةَ النَّهارِ مُبصِرَةً لِتَبتَغوا فَضلًا مِن رَبِّكُم وَلِتَعلَموا عَدَدَ السِّنينَ وَالحِسابَ ۚ وَكُلَّ شَيءٍ فَصَّلناهُ تَفصيلًا

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

और हमने रात और दिन को (अपनी क़ुदरत की) दो निशानियाँ क़रार दिया फिर हमने रात की निशानी (चाँद) को धुँधला बनाया और दिन की निशानी (सूरज) को रौशन बनाया (कि सब चीज़े दिखाई दें) ताकि तुम लोग अपने परवरदिगार का फज़ल ढूँढते फिरों और ताकि तुम बरसों की गिनती और हिसाब को जानो (बूझों) और हमने हर चीज़ को खूब अच्छी तरह तफसील से बयान कर दिया है