100قُل لَو أَنتُم تَملِكونَ خَزائِنَ رَحمَةِ رَبّي إِذًا لَأَمسَكتُم خَشيَةَ الإِنفاقِ ۚ وَكانَ الإِنسانُ قَتورًاफ़ारूक़ ख़ान & अहमदकहो, "यदि कहीं मेरे रब की दयालुता के ख़ज़ाने तुम्हारे अधिकार में होते हो ख़र्च हो जाने के भय से तुम रोके ही रखते। वास्तव में इनसान तो दिल का बड़ा ही तंग है