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Sura 16
Aya 62
62
وَيَجعَلونَ لِلَّهِ ما يَكرَهونَ وَتَصِفُ أَلسِنَتُهُمُ الكَذِبَ أَنَّ لَهُمُ الحُسنىٰ ۖ لا جَرَمَ أَنَّ لَهُمُ النّارَ وَأَنَّهُم مُفرَطونَ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

और ये लोग खुद जिन बातों को पसन्द नहीं करते उनको ख़ुदा के वास्ते क़रार देते हैं और अपनी ही ज़बान से ये झूठे दावे भी करते हैं कि (आख़िरत में भी) उन्हीं के लिए भलाई है (भलाई तो नहीं मगर) हाँ उनके लिए जहन्नुम की आग ज़रुरी है और यही लोग सबसे पहले (उसमें) झोंके जाएँगें