61وَلَو يُؤاخِذُ اللَّهُ النّاسَ بِظُلمِهِم ما تَرَكَ عَلَيها مِن دابَّةٍ وَلٰكِن يُؤَخِّرُهُم إِلىٰ أَجَلٍ مُسَمًّى ۖ فَإِذا جاءَ أَجَلُهُم لا يَستَأخِرونَ ساعَةً ۖ وَلا يَستَقدِمونَफ़ारूक़ ख़ान & नदवीऔर अगर (कहीं) ख़ुदा अपने बन्दों की नाफरमानियों की गिरफ़त करता तो रुए ज़मीन पर किसी एक जानदार को बाक़ी न छोड़ता मगर वह तो एक मुक़र्रर वक्त तक उन सबको मोहलत देता है फिर जब उनका (वह) वक्त अा पहुँचेगा तो न एक घड़ी पीछे हट सकते हैं और न आगे बढ़ सकते हैं