55لِيَكفُروا بِما آتَيناهُم ۚ فَتَمَتَّعوا ۖ فَسَوفَ تَعلَمونَफ़ारूक़ ख़ान & नदवीताकि जो (नेअमतें) हमने उनको दी है उनकी नाशुक्री करें तो (ख़ैर दुनिया में चन्द रोज़ चैन कर लो फिर तो अनक़रीब तुमको मालूम हो जाएगा