31جَنّاتُ عَدنٍ يَدخُلونَها تَجري مِن تَحتِهَا الأَنهارُ ۖ لَهُم فيها ما يَشاءونَ ۚ كَذٰلِكَ يَجزِي اللَّهُ المُتَّقينَफ़ारूक़ ख़ान & नदवीसदा बहार (हरे भरे) बाग़ हैं जिनमें (वे तकल्लुफ) जा पहुँचेगें उनके नीचे नहरें जारी होंगी और ये लोग जो चाहेगें उनके लिए मुयय्या (मौजूद) है यूँ ख़ुदा परहेज़गारों (को उनके किए) की जज़ा अता फरमाता है