115إِنَّما حَرَّمَ عَلَيكُمُ المَيتَةَ وَالدَّمَ وَلَحمَ الخِنزيرِ وَما أُهِلَّ لِغَيرِ اللَّهِ بِهِ ۖ فَمَنِ اضطُرَّ غَيرَ باغٍ وَلا عادٍ فَإِنَّ اللَّهَ غَفورٌ رَحيمٌफ़ारूक़ ख़ान & अहमदउसने तो तुमपर केवल मुर्दार, रक्त, सुअर का मांस और जिसपर अल्लाह के सिवा किसी और का नाम लिया गया हो, हराम ठहराया है। फिर यदि कोई इस प्रकार विवश हो जाए कि न तो उसकी ललक हो और न वह हद से आगे बढ़नेवाला हो तो निश्चय ही अल्लाह बड़ा क्षमाशील, दयावान है