106مَن كَفَرَ بِاللَّهِ مِن بَعدِ إيمانِهِ إِلّا مَن أُكرِهَ وَقَلبُهُ مُطمَئِنٌّ بِالإيمانِ وَلٰكِن مَن شَرَحَ بِالكُفرِ صَدرًا فَعَلَيهِم غَضَبٌ مِنَ اللَّهِ وَلَهُم عَذابٌ عَظيمٌफ़ारूक़ ख़ान & अहमदजिस किसी ने अपने ईमान के पश्चात अल्लाह के साथ कुफ़्र किया -सिवाय उसके जो इसके लिए विवश कर दिया गया हो और दिल उसका ईमान पर सन्तुष्ट हो - बल्कि वह जिसने सीना कुफ़्र के लिए खोल दिया हो, तो ऐसे लोगो पर अल्लाह का प्रकोप है और उनके लिए बड़ी यातना है