3ذَرهُم يَأكُلوا وَيَتَمَتَّعوا وَيُلهِهِمُ الأَمَلُ ۖ فَسَوفَ يَعلَمونَफ़ारूक़ ख़ान & नदवीकाश (हम भी) मुसलमान होते (ऐ रसूल) उन्हें उनकी हालत पर रहने दो कि खा पी लें और (दुनिया के चन्द रोज़) चैन कर लें और उनकी तमन्नाएँ उन्हें खेल तमाशे में लगाए रहीं