21وَإِن مِن شَيءٍ إِلّا عِندَنا خَزائِنُهُ وَما نُنَزِّلُهُ إِلّا بِقَدَرٍ مَعلومٍफ़ारूक़ ख़ान & अहमदकोई भी चीज़ तो ऐसी नहीं है जिसके भंडार हमारे पास न हों, फिर भी हम उसे एक ज्ञात (निश्चिंत) मात्रा के साथ उतारते है