43مُهطِعينَ مُقنِعي رُءوسِهِم لا يَرتَدُّ إِلَيهِم طَرفُهُم ۖ وَأَفئِدَتُهُم هَواءٌफ़ारूक़ ख़ान & नदवी(और अपने अपने सर उठाए भागे चले जा रहे हैं (टकटकी बँधी है कि) उनकी तरफ उनकी नज़र नहीं लौटती (जिधर देख रहे हैं) और उनके दिल हवा हवा हो रहे हैं