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Sura 14
Aya 22
22
وَقالَ الشَّيطانُ لَمّا قُضِيَ الأَمرُ إِنَّ اللَّهَ وَعَدَكُم وَعدَ الحَقِّ وَوَعَدتُكُم فَأَخلَفتُكُم ۖ وَما كانَ لِيَ عَلَيكُم مِن سُلطانٍ إِلّا أَن دَعَوتُكُم فَاستَجَبتُم لي ۖ فَلا تَلوموني وَلوموا أَنفُسَكُم ۖ ما أَنا بِمُصرِخِكُم وَما أَنتُم بِمُصرِخِيَّ ۖ إِنّي كَفَرتُ بِما أَشرَكتُمونِ مِن قَبلُ ۗ إِنَّ الظّالِمينَ لَهُم عَذابٌ أَليمٌ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

और जब (लोगों का) ख़ैर फैसला हो चुकेगा (और लोग शैतान को इल्ज़ाम देगें) तो शैतान कहेगा कि ख़ुदा ने तुम से सच्चा वायदा किया था (तो वह पूरा हो गया) और मैने भी वायदा तो किया था फिर मैने वायदा ख़िलाफ़ी की और मुझे कुछ तुम पर हुकूमत तो थी नहीं मगर इतनी बात थी कि मैने तुम को (बुरे कामों की तरफ) बुलाया और तुमने मेरा कहा मान लिया तो अब तुम मुझे बुंरा (भला) न कहो बल्कि (अगर कहना है तो) अपने नफ्स को बुरा कहो (आज) न तो मैं तुम्हारी फरियाद को पहुँचा सकता हूँ और न तुम मेरी फरियाद कर सकते हो मै तो उससे पहले ही बेज़ार हूँ कि तुमने मुझे (ख़ुदा का) शरीक बनाया बेशक जो लोग नाफरमान हैं उनके लिए दर्दनाक अज़ाब है