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Sura 14
Aya 11
11
قالَت لَهُم رُسُلُهُم إِن نَحنُ إِلّا بَشَرٌ مِثلُكُم وَلٰكِنَّ اللَّهَ يَمُنُّ عَلىٰ مَن يَشاءُ مِن عِبادِهِ ۖ وَما كانَ لَنا أَن نَأتِيَكُم بِسُلطانٍ إِلّا بِإِذنِ اللَّهِ ۚ وَعَلَى اللَّهِ فَليَتَوَكَّلِ المُؤمِنونَ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

उनके पैग़म्बरों ने उनके जवाब में कहा कि इसमें शक़ नहीं कि हम भी तुम्हारे ही से आदमी हैं मगर ख़ुदा अपने बन्दों में जिस पर चाहता है अपना फज़ल (व करम) करता है (और) रिसालत अता करता है और हमारे एख्तियार मे ये बात नही कि बे हुक्मे ख़ुदा (तुम्हारी फरमाइश के मुवाफिक़) हम कोई मौजिज़ा तुम्हारे सामने ला सकें और ख़ुदा ही पर सब ईमानदारों को भरोसा रखना चाहिए