3وَهُوَ الَّذي مَدَّ الأَرضَ وَجَعَلَ فيها رَواسِيَ وَأَنهارًا ۖ وَمِن كُلِّ الثَّمَراتِ جَعَلَ فيها زَوجَينِ اثنَينِ ۖ يُغشِي اللَّيلَ النَّهارَ ۚ إِنَّ في ذٰلِكَ لَآياتٍ لِقَومٍ يَتَفَكَّرونَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदऔर वही है जिसने धरती को फैलाया और उसमें जमे हुए पर्वत और नदियाँ बनाई और हरेक पैदावार की दो-दो क़िस्में बनाई। वही रात से दिन को छिपा देता है। निश्चय ही इसमें उन लोगों के लिए निशानियाँ है जो सोच-विचार से काम लेते है