أَنزَلَ مِنَ السَّماءِ ماءً فَسالَت أَودِيَةٌ بِقَدَرِها فَاحتَمَلَ السَّيلُ زَبَدًا رابِيًا ۚ وَمِمّا يوقِدونَ عَلَيهِ فِي النّارِ ابتِغاءَ حِليَةٍ أَو مَتاعٍ زَبَدٌ مِثلُهُ ۚ كَذٰلِكَ يَضرِبُ اللَّهُ الحَقَّ وَالباطِلَ ۚ فَأَمَّا الزَّبَدُ فَيَذهَبُ جُفاءً ۖ وَأَمّا ما يَنفَعُ النّاسَ فَيَمكُثُ فِي الأَرضِ ۚ كَذٰلِكَ يَضرِبُ اللَّهُ الأَمثالَ
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
उसी ने आसमान से पानी बरसाया फिर अपने अपने अन्दाज़े से नाले बह निकले फिर पानी के रेले पर (जोश खाकर) फूला हुआ झाग (फेन) आ गया और उस चीज़ (धातु) से भी जिसे ये लोग ज़ेवर या कोई असबाब बनाने की ग़रज़ से आग में तपाते हैं इसी तरह फेन आ जाता है (फिर अलग हो जाता है) युं ख़ुदा हक़ व बातिल की मसले बयान फरमाता है (कि पानी हक़ की मिसाल और फेन बातिल की) ग़रज़ फेन तो खुश्क होकर ग़ायब हो जाता है जिससे लोगों को नफा पहुँचता है (पानी) वह ज़मीन में ठहरा रहता है युं ख़ुदा (लोगों के समझाने के वास्ते) मसले बयान फरमाता है