41يا صاحِبَيِ السِّجنِ أَمّا أَحَدُكُما فَيَسقي رَبَّهُ خَمرًا ۖ وَأَمَّا الآخَرُ فَيُصلَبُ فَتَأكُلُ الطَّيرُ مِن رَأسِهِ ۚ قُضِيَ الأَمرُ الَّذي فيهِ تَستَفتِيانِफ़ारूक़ ख़ान & अहमदऐ कारागार के मेरे दोनों साथियों! तुममें से एक तो अपने स्वामी को मद्यपान कराएगा; रहा दूसरा तो उसे सूली पर चढ़ाया जाएगा और पक्षी उसका सिर खाएँगे। फ़ैसला हो चुका उस बात का जिसके विषय में तुम मुझसे पूछ रहे हो।"