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Sura 12
Aya 30
30
۞ وَقالَ نِسوَةٌ فِي المَدينَةِ امرَأَتُ العَزيزِ تُراوِدُ فَتاها عَن نَفسِهِ ۖ قَد شَغَفَها حُبًّا ۖ إِنّا لَنَراها في ضَلالٍ مُبينٍ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

नगर की स्त्रियाँ कहने लगी, "अज़ीज़ की पत्नी अपने नवयुवक ग़ुलाम पर डोरे डालना चाहती है। वह प्रेम-प्रेरणा से उसके मन में घर कर गया है। हम तो उसे देख रहे हैं कि वह खुली ग़लती में पड़ गई है।"