29يوسُفُ أَعرِض عَن هٰذا ۚ وَاستَغفِري لِذَنبِكِ ۖ إِنَّكِ كُنتِ مِنَ الخاطِئينَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदयूसुफ़! इस मामले को जाने दे और स्त्री तू अपने गुनाह की माफ़ी माँग। निस्संदेह ख़ता तेरी ही है।"