110حَتّىٰ إِذَا استَيأَسَ الرُّسُلُ وَظَنّوا أَنَّهُم قَد كُذِبوا جاءَهُم نَصرُنا فَنُجِّيَ مَن نَشاءُ ۖ وَلا يُرَدُّ بَأسُنا عَنِ القَومِ المُجرِمينَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदयहाँ तक कि जब वे रसूल निराश होने लगे और वे समझने लगे कि उनसे झूठ कहा गया था कि सहसा उन्हें हमारी सहायता पहुँच गई। फिर हमने जिसे चाहा बचा लिया। किन्तु अपराधी लोगों पर से तो हमारी यातना टलती ही नहीं