64وَيا قَومِ هٰذِهِ ناقَةُ اللَّهِ لَكُم آيَةً فَذَروها تَأكُل في أَرضِ اللَّهِ وَلا تَمَسّوها بِسوءٍ فَيَأخُذَكُم عَذابٌ قَريبٌफ़ारूक़ ख़ान & नदवीऐ मेरी क़ौम ये ख़ुदा की (भेजी हुई) ऊँटनी है तुम्हारे वास्ते (मेरी नबूवत का) एक मौजिज़ा है तो इसको (उसके हाल पर) छोड़ दो कि ख़ुदा की ज़मीन में (जहाँ चाहे) खाए और उसे कोई तकलीफ न पहुँचाओ