51يا قَومِ لا أَسأَلُكُم عَلَيهِ أَجرًا ۖ إِن أَجرِيَ إِلّا عَلَى الَّذي فَطَرَني ۚ أَفَلا تَعقِلونَफ़ारूक़ ख़ान & नदवीऐ मेरी क़ौम मै उस (समझाने पर तुमसे कुछ मज़दूरी नहीं मॉगता मेरी मज़दूरी तो बस उस शख़्श के ज़िम्मे है जिसने मुझे पैदा किया तो क्या तुम (इतना भी) नहीं समझते