35أَم يَقولونَ افتَراهُ ۖ قُل إِنِ افتَرَيتُهُ فَعَلَيَّ إِجرامي وَأَنا بَريءٌ مِمّا تُجرِمونَफ़ारूक़ ख़ान & नदवी(ऐ रसूल) क्या (कुफ्फ़ारे मक्का भी) कहते हैं कि क़ुरान को उस (तुम) ने गढ़ लिया है तुम कह दो कि अगर मैने उसको गढ़ा है तो मेरे गुनाह का वबाल मुझ पर होगा और तुम लोग जो (गुनाह करके) मुजरिम होते हो उससे मै बरीउल ज़िम्मा (अलग) हूँ