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Sura 11
Aya 31
31
وَلا أَقولُ لَكُم عِندي خَزائِنُ اللَّهِ وَلا أَعلَمُ الغَيبَ وَلا أَقولُ إِنّي مَلَكٌ وَلا أَقولُ لِلَّذينَ تَزدَري أَعيُنُكُم لَن يُؤتِيَهُمُ اللَّهُ خَيرًا ۖ اللَّهُ أَعلَمُ بِما في أَنفُسِهِم ۖ إِنّي إِذًا لَمِنَ الظّالِمينَ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और मैं तुमसे यह नहीं कहता कि मेरे पास अल्लाह के ख़जाने है और न मुझे परोक्ष का ज्ञान है और न मैं यह कहता हूँ कि मैं कोई फ़रिश्ता हूँ और न उन लोगों के विषय में, जो तुम्हारी दृष्टि में तुच्छ है, मैं यह कहता हूँ कि अल्लाह उन्हें कोई भलाई न देगा। जो कुछ उनके जी में है, अल्लाह उसे भली-भाँति जानता है। (यदि मैं ऐसा कहूँ) तब तो मैं अवश्य ही ज़ालिमों में से हूँगा।"