30وَيا قَومِ مَن يَنصُرُني مِنَ اللَّهِ إِن طَرَدتُهُم ۚ أَفَلا تَذَكَّرونَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदऔर ऐ मेरी क़ौम के लोगो! यदि मैं उन्हें धुत्कार दूँ तो अल्लाह के मुक़ाबले में कौन मेरी सहायता कर सकता है? फिर क्या तुम होश से काम नहीं लेते?