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Sura 11
Aya 17
17
أَفَمَن كانَ عَلىٰ بَيِّنَةٍ مِن رَبِّهِ وَيَتلوهُ شاهِدٌ مِنهُ وَمِن قَبلِهِ كِتابُ موسىٰ إِمامًا وَرَحمَةً ۚ أُولٰئِكَ يُؤمِنونَ بِهِ ۚ وَمَن يَكفُر بِهِ مِنَ الأَحزابِ فَالنّارُ مَوعِدُهُ ۚ فَلا تَكُ في مِريَةٍ مِنهُ ۚ إِنَّهُ الحَقُّ مِن رَبِّكَ وَلٰكِنَّ أَكثَرَ النّاسِ لا يُؤمِنونَ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

तो क्या जो शख़्श अपने परवरदिगार की तरफ से रौशन दलील पर हो और उसके पीछे ही पीछे उनका एक गवाह हो और उसके क़बल मूसा की किताब (तौरैत) जो (लोगों के लिए) पेशवा और रहमत थी (उसकी तसदीक़ करती हो वह बेहतर है या कोई दूसरा) यही लोग सच्चे ईमान लाने वाले और तमाम फिरक़ों में से जो शख़्श भी उसका इन्कार करे तो उसका ठिकाना बस आतिश (जहन्नुम) है तो फिर तुम कहीं उसकी तरफ से शक़ में न पड़े रहना, बेशक ये क़ुरान तुम्हारे परवरदिगार की तरफ़ से बरहक़ है मगर बहुतेरे लोग ईमान नही लाते