105يَومَ يَأتِ لا تَكَلَّمُ نَفسٌ إِلّا بِإِذنِهِ ۚ فَمِنهُم شَقِيٌّ وَسَعيدٌफ़ारूक़ ख़ान & नदवीजिस दिन वह आ पहुँचेगा तो बग़ैर हुक्मे ख़ुदा कोई शख़्श बात भी तो नहीं कर सकेगा फिर कुछ लोग उनमे से बदबख्त होगें और कुछ लोग नेक बख्त