37وَما كانَ هٰذَا القُرآنُ أَن يُفتَرىٰ مِن دونِ اللَّهِ وَلٰكِن تَصديقَ الَّذي بَينَ يَدَيهِ وَتَفصيلَ الكِتابِ لا رَيبَ فيهِ مِن رَبِّ العالَمينَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदयह क़ुरआन ऐसा नहीं है कि अल्लाह से हटकर घड लिया जाए, बल्कि यह तो जिसके समझ है, उसकी पुष्टि में है और किताब का विस्तार है, जिसमें किसी संदेह की गुंजाइश नहीं। यह सारे संसार के रब की ओर से है