105وَأَن أَقِم وَجهَكَ لِلدّينِ حَنيفًا وَلا تَكونَنَّ مِنَ المُشرِكينَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदऔर यह कि हर ओर से एकाग्र होकर अपना रुख़ इस धर्म की ओर कर लो और मुशरिक़ों में कदापि सम्मिलित न हो,