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Sura 9
Aya 42
42
لَو كانَ عَرَضًا قَريبًا وَسَفَرًا قاصِدًا لَاتَّبَعوكَ وَلٰكِن بَعُدَت عَلَيهِمُ الشُّقَّةُ ۚ وَسَيَحلِفونَ بِاللَّهِ لَوِ استَطَعنا لَخَرَجنا مَعَكُم يُهلِكونَ أَنفُسَهُم وَاللَّهُ يَعلَمُ إِنَّهُم لَكاذِبونَ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

यदि निकट (भविष्य में) ही कुछ मिलनेवाला होता और सफ़र भी हलका होता तो वे अवश्य तुम्हारे पीछे चल पड़ते, किन्तु मार्ग की दूरी उन्हें कठिन और बहुत दीर्घ प्रतीत हुई। अब वे अल्लाह की क़समें खाएँगे कि, "यदि हममें इसकी सामर्थ्य होती तो हम अवश्य तुम्हारे साथ निकलते।" वे अपने आपको तबाही में डाल रहे है और अल्लाह भली-भाँति जानता है कि निश्चय ही वे झूठे है