4إِن كُلُّ نَفسٍ لَمّا عَلَيها حافِظٌफ़ारूक़ ख़ान & नदवी(इस बात की क़सम) कि कोई शख़्श ऐसा नहीं जिस पर निगेहबान मुक़र्रर नहीं