31يُدخِلُ مَن يَشاءُ في رَحمَتِهِ ۚ وَالظّالِمينَ أَعَدَّ لَهُم عَذابًا أَليمًاफ़ारूक़ ख़ान & नदवीजिसको चाहे अपनी रहमत में दाख़िल कर ले और ज़ालिमों के वास्ते उसने दर्दनाक अज़ाब तैयार कर रखा है