31يُدخِلُ مَن يَشاءُ في رَحمَتِهِ ۚ وَالظّالِمينَ أَعَدَّ لَهُم عَذابًا أَليمًاफ़ारूक़ ख़ान & अहमदवह जिसे चाहता है अपनी दयालुता में दाख़िल करता है। रहे ज़ालिम, तो उनके लिए उसने दुखद यातना तैयार कर रखी है