52بَل يُريدُ كُلُّ امرِئٍ مِنهُم أَن يُؤتىٰ صُحُفًا مُنَشَّرَةًफ़ारूक़ ख़ान & नदवीअसल ये है कि उनमें से हर शख़्श इसका मुतमइनी है कि उसे खुली हुई (आसमानी) किताबें अता की जाएँ