7وَإِنّي كُلَّما دَعَوتُهُم لِتَغفِرَ لَهُم جَعَلوا أَصابِعَهُم في آذانِهِم وَاستَغشَوا ثِيابَهُم وَأَصَرّوا وَاستَكبَرُوا استِكبارًاफ़ारूक़ ख़ान & अहमद"और जब भी मैंने उन्हें बुलाया, ताकि तू उन्हें क्षमा कर दे, तो उन्होंने अपने कानों में अपनी उँगलियाँ दे लीं और अपने कपड़ो से स्वयं को ढाँक लिया और अपनी हठ पर अड़ गए और बड़ा ही घमंड किया