13ما لَكُم لا تَرجونَ لِلَّهِ وَقارًاफ़ारूक़ ख़ान & अहमद"तुम्हें क्या हो गया है कि तुम (अपने दिलों में) अल्लाह के लिए किसी गौरव की आशा नहीं रखते?