44خاشِعَةً أَبصارُهُم تَرهَقُهُم ذِلَّةٌ ۚ ذٰلِكَ اليَومُ الَّذي كانوا يوعَدونَफ़ारूक़ ख़ान & नदवी(निदामत से) उनकी ऑंखें झुकी होंगी उन पर रूसवाई छाई हुई होगी ये वही दिन है जिसका उनसे वायदा किया जाता था