4تَعرُجُ المَلائِكَةُ وَالرّوحُ إِلَيهِ في يَومٍ كانَ مِقدارُهُ خَمسينَ أَلفَ سَنَةٍफ़ारूक़ ख़ान & अहमदफ़रिश्ते और रूह (जिबरील) उसकी ओर चढ़ते है, उस दिन में जिसकी अवधि पचास हज़ार वर्ष है