68أُبَلِّغُكُم رِسالاتِ رَبّي وَأَنا لَكُم ناصِحٌ أَمينٌफ़ारूक़ ख़ान & अहमद"तुम्हें अपने रब के संदेश पहुँचता हूँ और मैं तुम्हारा विश्वस्त हितैषी हूँ