4وَكَم مِن قَريَةٍ أَهلَكناها فَجاءَها بَأسُنا بَياتًا أَو هُم قائِلونَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदकितनी ही बस्तियाँ थीं, जिन्हें हमने विनष्टम कर दिया। उनपर हमारी यातना रात को सोते समय आ पहुँची या (दिन-दहाड़) आई, जबकि वे दोपहर में विश्राम कर रहे थे